श्री ब्रह्माण्ड पावन कृष्ण कवच भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है। यह कवच भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य रूपों और उनके महान कार्यों का स्मरण करते हुए भक्तों की रक्षा करता है और हर प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाता है। यह कवच उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जो जीवन में शत्रुओं, कष्टों, और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति चाहते हैं। यहाँ श्री कृष्ण कवच के कुछ महत्वपूर्ण श्लोक दिए गए हैं:
श्री ब्रह्माण्ड पावन कृष्ण कवच
II ध्यानम् II
वसुन्दरे वृषभानु सुतायाः
प्रियं विभुं मधुरं वारिजाक्षम्।
दधानमिन्दीवर श्याम देहं
चिन्तामणिं मम सन्तु सदा श्रीः॥
II कवचम् II
ॐ श्रीकृष्णः पुरतः पातु, पार्श्वे पातु जनार्दनः।
प्रद्युम्नः पातु मे पृष्ठे, श्रीवासः सर्वतोवतु॥ 1 ॥
सत्त्वं मे पातु गोविन्दः, शब्दं पातु जनार्दनः।
विष्णुर्मे पातु ते तेजः, सदा पातु हिरण्यगर्भः॥ 2 ॥
मनः कृष्णः सदा पातु, बुद्धिं पातु जनार्दनः।
श्रीधरः पातु मे वाणीं, सत्यं पातु मधुसूदनः॥ 3 ॥
वसुन्धरा सुतः पातु, नाम गोपालकः सदा।
मां पातु गोवर्धनधारको हरिः, सर्वदा सर्वतः॥ 4 ॥
कवच के लाभ
इस कवच का नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में हर प्रकार की विपत्तियों से सुरक्षा मिलती है
- मानसिक और शारीरिक शांति का अनुभव होता है।
- भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से धन, ऐश्वर्य, और सफलता प्राप्त होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं से रक्षा होती है।
विधि: श्री ब्रह्माण्ड पावन कृष्ण कवच का पाठ सुबह स्नान करके, शुद्ध मन और ध्यान से करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर श्रद्धा और भक्ति के साथ इस कवच का जाप करें।