भगवान हनुमान अपनी अद्भुत शक्तियों और कठिनाईयों के समाधान के लिए जाने जाते हैं। उनका पूजन और स्तुति करने से व्यक्ति अपने जीवन को प्रकाशमय और सकारात्मक ऊर्जा से भर सकता है। भगवान हनुमान के भक्त अनेक प्रकार के भजनों और प्रार्थनाओं के माध्यम से उनके कृपांजलि को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। एक ऐसा प्रमुख भजन है, जिसे ‘हनुमान अष्टक’ कहा जाता है, और इसे संकट हनुमान अष्टक के नाम से भी जाना जाता है।
हनुमान अष्टक एक भक्ति भजन है जो श्री हनुमान जी को समर्पित है और इसे महाकवि तुलसीदास ने रचा था। इसमें आठ श्लोक हैं, जो हनुमान जी की गुणगान में समर्थन करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। ‘अष्टक’ शब्द का अर्थ होता है ‘आठ’, और इसलिए इस प्रार्थना में 8 श्लोक हैं। यह गीत हनुमान जी के अनेक मंदिरों में चालीसा के बाद पढ़ा जाता है और भक्तों को उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति में रूचि बढ़ाने का उत्कृष्ट माध्यम प्रदान करता है।
इस अष्टक में तुलसीदास जी ने हनुमान जी की वीरता, दयालुता, और भक्ति को महानता से चित्रित किया है। यह प्रार्थना भक्तों को उनके दिव्य गुणों के साथ जोड़ने और उनके प्रति अपनी अद्वितीय भक्ति का अभिवादन करने का एक सुंदर और प्रभावशाली तरीका है।
जब भक्त इस अष्टक का पाठ करता है, तो इससे उसके मन को शांति और सुकून मिलता है। यह भक्तों को उनके जीवन में आने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए हनुमान जी की कृपा को आमंत्रित करता है। इसके अलावा, इस प्रार्थना का पाठ करने से परिवार के सदस्यों को भी शांति और शुभकामनाएं मिलती हैं।
समर्पण और भक्ति से भरी इस प्रार्थना के माध्यम से, भक्त हनुमान जी की
कृपा को अपने जीवन में महसूस कर सकते हैं और उनसे अनगिनत आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
संकट मोचन हनुमान अष्टक
|| हनुमान अष्टक||
बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो ॥ ८ ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥
हनुमान अष्टक के लाभ
यह प्रार्थना उन भक्तों के लिए बहुत सारे लाभ लेकर आती है जो भगवान हनुमान के प्रति अपनी वास्तविक भक्ति दिखाते हैं। जब आप इस प्रार्थना को अपनी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाते हैं, तो आप निश्चित रूप से इसके लाभ प्राप्त कर सकते हैं, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है:
जीवन की समस्याओं का निवारण:
हनुमान अष्टक का नियमित पाठ भक्तों को उनके जीवन में आने वाली सभी परेशानियों और कठिनाईयों से मुक्ति प्रदान कर सकता है।
संकटों से मुक्ति:
अगर किसी व्यक्ति को कोई बड़ा संकट आ रहा है, तो हर शनिवार को हनुमान अष्टक का 7 बार पाठ करने से उसे अद्भुत परिणाम मिल सकता है। 21 दिन तक इस प्रक्रिया को अनुसरण करना उत्तम है।
आत्मविश्वास में सुधार:
हनुमान अष्टक का पाठ करने से व्यक्ति को आत्मविश्वास में सुधार होता है और उसकी निर्णयक्षमता में वृद्धि होती है।
ऊर्जा और ताकत में वृद्धि:
इस प्रार्थना का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को ऊर्जा और ताकत में वृद्धि होती है, जिससे उसे अपने दैहिक और मानसिक कार्यों को सफलता प्राप्त होती है।
विघ्नों का नाश:
हनुमान अष्टक का पाठ विघ्नों और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है और भक्त को सुख-शांति प्रदान करता है।
सफलता की प्राप्ति:
इस प्रार्थना का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को अपने प्रयासों में सफलता मिलती है और उसका जीवन समृद्धि से भरा रहता है।
दुःखों का निवारण:
हनुमान अष्टक का पाठ करने से भक्त को दुःखों से मुक्ति मिलती है और उसका मानसिक स्थिति सकारात्मक बनता है।
अन्य लाभ:
इस प्रार्थना का नियमित पाठ करने से अनेक अन्य आशीर्वाद भी प्राप्त होते हैं जैसे कि सुख-शांति, सफलता, और भगवान के प्रति आत्मबल।
यदि आप चाहते हैं कि आपका जीवन सुखमय और समृद्धिशील हो, तो हनुमान अष्टक का नियमित पाठ धर्मनिष्ठ भावना के साथ करना अत्यंत उपयुक्त है।
हनुमान अष्टक का पाठ कब करें?
यह महत्वपूर्ण है कि हर प्रार्थना के पीछे नियम और कानून होते हैं, और इनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। हनुमान अष्टक के मामले में भी यही निर्णय है। इसे आमतौर पर शनिवार को पाठ किया जाता है, जो कि हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए एक प्रमुख दिन माना जाता है। इस दिन का महत्वपूर्ण माना जाता है और यह विशेष रूप से हनुमान भक्तों के लिए आशीर्वादपूर्ण होता है।
हनुमान अष्टक का पाठ करने का एक अनुपम लाभ है कि इससे भक्त को हनुमान जी की कृपा मिलती है। यह कहा जाता है कि इस पाठ को करने से हनुमान जी व्यक्ति की समस्त इच्छाएं पूरी करने के लिए सक्षम हो जाते हैं।
जिन लोगों को कठिनाईयों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है, उनके लिए हनुमान अष्टक एक मार्गदर्शक हो सकता है। इस पाठ से व्यक्ति को शक्ति और साहस मिलता है, जो उसे कठिन समय से निकलने में मदद करता है।
शनिवार को हनुमान अष्टक का पाठ करने से हनुमान जी को प्रसन्न करने का महत्वपूर्ण मौका मिलता है। यह दिन हनुमान भक्तों के लिए विशेष रूप से पुनीत होता है और उन्हें अपनी प्रार्थनाओं को सिद्ध करने का अद्वितीय अवसर मिलता है।
इसलिए, हर शनिवार, हनुमान अष्टक का पाठ करने के माध्यम से भक्त अपने जीवन को प्रेरित कर सकता है और हनुमान जी से आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। यह प्रक्रिया उनके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाने का एक अद्वितीय तरीका है।
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